कर्नाटक: प्राइवेट नौकरियों में मिलेगा कन्नड लोगों को 100% आरक्षण।
कर्नाटक कैबिनेट ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया है। इस विधेयक में निजी क्षेत्र में प्रबंधक या प्रबंधन स्तर के पदों पर 50 प्रतिशत नौकरियाँ और गैर-प्रबंधन स्तर की नौकरियों पर 75 प्रतिशत नौकरियाँ स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है। साथ ही निजी कंपनियों में समूह ‘सी’ और समूह ‘डी’ के पदों के लिए कन्नड़ लोगों को 100 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की गई है
ग्रुप-सी और ग्रुप-डी की नौकरियों के प्रकार:
ग्रुप ‘C’ की नौकरियों में आमतौर पर वे पद शामिल होते हैं जो कार्यालय और फील्ड स्टाफ के कार्यों में सहायता करते हैं। इनमें शामिल होते हैं: जैसे :- क्लर्क (Clerk), टाइपिस्ट (Typist), स्टेनोग्राफर (Stenographer), फार्मासिस्ट (Pharmacist), असिस्टेंट (Assistant), डाटा एंट्री ऑपरेटर (Data Entry Operator), तकनीशियन (Technician), कस्टम इंस्पेक्टर (Custom Inspector)।
समूह ‘D’ की नौकरियों में अधिकतर निम्न स्तर के कार्य शामिल होते हैं जो शारीरिक श्रम और सामान्य सहायता प्रदान करने वाले होते हैं। इनमें शामिल होते हैं: जैसे :- हेल्पर (Helper), फील्ड वर्कर (Field Worker), वॉचमैन (Watchman), प्यून (Peon), चपरासी (Chaprasi), माली (Gardener), सफाई कर्मचारी (Sweeper)।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारामैया ने बताया कि मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र में समूह – C और समूह – D के पदों पर कन्नड़ लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण लागू करने संबंधी बिल को मंजूरी दे दी है। अब कर्नाटक में जल्द ही प्राइवेट क्षेत्र की सी और डी ग्रुप की नौकरियों पर कर्नाटक के रहने वाले लोगों को 100 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने बतात हुए कहा की निजी क्षेत्र में समूह – C और समूह – D के पदों पर कन्नड़ लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण लागू करने संबंधी बिल को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा की राज्य सरकार की प्राथमिकता कन्नड लोगों के कल्याण की देखभाल करना है ।
कांग्रेस सरकार के इस विधेयक पर राज्य के कई उद्योगपतियों ने बुधवार को इस विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि इस निर्णय में भेदभाव है और उन्होंने आशंका जताई है कि प्रौद्योगिकी उद्योग को नुकसान हो सकता है। उद्योगपतियों का मानना है कि इस विधेयक को रद्द कर देना चाहिए, उनका यह विचार है कि यह भेदभावपूर्ण है और संविधान के खिलाफ है।