चांदीपुरा वायरस कोरोना वायरस की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। यह वायरस बारिशी मौसम में पाए जाने वाले मच्छर और मक्खियों के काटने से मानव शरीर में प्रवेश करता है, और इसमें अधिकतम प्रभाव 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों में देखा गया है। यह मुख्य रूप से 14 वर्ष से छोटे बच्चों में अपने संक्रमण को बढ़ावा देता है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह वायरस सीधे बच्चों के मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। इस वायरस से पहले फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं, और बाद में बच्चे को कोमा में ले जाते हैं।
हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में 2 छोटे बच्चों में इस वायरस के लक्षण पाए गए हैं। इन दोनों बच्चों को गुजरात के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एक बच्चे की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है 4 साल का दूसरा बच्चा अभी तक हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में भर्ती है। उसकी हालत पहले से बेहतर बताई जा रही है।
उदयपुर के बावलवाड़ा क्षेत्र में इस वायरस से हो रही लगातार मौतों से आदिवासी समुदाय में डर बढ़ रहा है। इस वायरस को वहां के 2 बच्चों में पाया गया है, मेडिकल विभाग की टीम ने उन दोनों बच्चों के गाँव जाकर उनके परिवार के सदस्यों और गाँव के सभी बच्चों के सैंपल लिए हैं।
यह वायरस 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा गाँव में फैला था, तब से इसे चांदीपुरा वायरस कहा जाता है। यह वायरस बारिशी मौसम में पाए जाने वाले मच्छर और मक्खियों के काटने से मानव शरीर में प्रवेश करता है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह वायरस सीधे बच्चों के मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। इस वायरस से पहले फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं, और बाद में बच्चे को कोमा में ले जाते हैं।
वायरस (Chandipura vesiculovirus)से बचने के उपाय:
बारिश के मौसम में मच्छरों और मक्खियों की बढ़ती संख्या के कारण यह वायरस तेजी से फैलता है। इसलिए, बच्चों को गंदे पानी वाले स्थानों पर जाने से रोकें और घर में भी जमा हुए गंदे पानी को साफ करें। सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर से बाहर जाते समय बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं, ताकि वे गंदे पानी और मच्छरों-मक्खियों से सुरक्षित रहें।
वायरस के लक्षण:
यह वायरस सीधे बच्चों के मस्तिष्क पर असर करता है। इस वायरस से पहले फ्लू के लक्षण नजर आते हैं। अगर समय पर उपचार न मिले तो बच्चे के मस्तिष्क में सूजन हो सकती है, और इसके बाद भी अगर इलाज न किया जाए तो बच्चा कोमा में जा सकता है। इसलिए, बच्चों का विशेष ध्यान रखें और साधारण फ्लू के मामले में भी सतर्क रहें।